Saturday, 15 October 2011

टीम अन्ना का खतरनाक खेल...


तीन दिन दिल्ली में नहीं था, आफिस के काम से बाहर जाना पड़ गया, इस दौरान मैं ब्लागिंग से भी महरूम रहा। पूरे दिन काम धाम निपटाने के बाद रात में टीवी पर न्यूज देख रहा था, अचानक सभी चैनलों ने एक ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश की, जिसमें श्रीराम सेना के कुछ कार्यकर्ता टीम अन्ना के प्रमुख सहयोगी प्रशांत भूषण पर हमला कर रहे थे। ये देखकर एक बार तो मैं भी हैरान रह गया, क्योंकि मेरा मानना है कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी सकती है, और इसे हम गुंडागर्दी कहें तो गलत नहीं होगा।
लेकिन कुछ देर बाद ही मार पिटाई करने वाले नौजवानों की बात सुनीं, उनका गुस्सा प्रशांत भूषण के उस बयान पर था, जिसमें भूषण ने कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वहां जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए और अगर वो लोग चाहते हैं कि वे भारत के साथ नहीं रहना चाहते तो वहां से सेना हटाकर उन्हें आजाद कर दिया जाना चाहिए। मेरा भी निजी तौर पर मानना है कि प्रशांत भूषण का ये बयान गैरजिम्मेदाराना और देश को विभाजित करने वाला है। या यों कहें कि उनका ये बयान कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के साथ ही पडो़सी मुल्क पाकिस्तान के रुख का समर्थन करने वाला है तो गलत नहीं होगा। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और इसके साथ किसी तरह का समझौता संभव नहीं है। कश्मीर को बचाए रखने के लिए देश ने कितनी कुर्बानी दी है, प्रशांत ने उन सभी कुर्बानी को नजरअंदाज कर बेहूदा बयान दिया है। हालाकि मैं फिर दुहराना चाहता हूं कि मैं मारपीट के खिलाफ हूं, पर मुझे लगता है कि नौजवानों का जब खून खौलता है तो वो ऐसा कुछ कर देते हैं, खैर मैं इन युवकों के देश प्रेम की भावना को सलाम करता हूं और इस मामले में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के विचार का भी समर्थन करता हूं।
सवाल ये उठता है कि टीम अन्ना को ऐसा क्यों लगता है कि वो अब खुदा हैं और हर मामले पर अपना नजरिया रखेगें, भले ही वो देश भावना के खिलाफ हो। प्रशांत की बात को अन्ना ने खारिज कर दिया। टीम अन्ना के दूसरे सहयोगी जस्टिस संतोष हेगडे भी समय समय पर टीम अन्ना से अलग राय देते रहे हैं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस टीम में चलती किसकी है। यहां कोई अनुशासन है भी या नहीं। गैरजिम्मेदार लोगों के मुंह पर ताला लगाने की जिम्मेदारी किसके हाथ में है। शर्म की बात तो ये है कि गैरजिम्मेदाराना बयान देने के बाद भी अभी तक प्रशांत भूषण ने खेद भी नहीं जताया, मतलब साफ है कि वो अभी भी अपने देश विरोधी बयान पर कायम हैं।
वैसे मुझे अब टीम अन्ना की नीयत पर शक होने लगा है। उसकी वजह भी है। हालाकि आप मेरे पिछले लेख देखें तो मैं समय समय पर लोगों को आगाह करता रहा हूं, लेकिन अब जो कुछ सामने आ रहा है, उससे लगता है कि ये लोग भी कुछ सियासी लोगों के हाथ की कठपुतली बने हुए हैं। ये वही करते हैं जो पर्दे के पीछे से इन्हें कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा के हिसार में हो रहे लोकसभा के उपचुनाव में अरविंद केजरीवाल, किरन वेदी और प्रशांत भूषण पहुंच गए। इन सभी ने हाथ में तिरंगा लेकर कांग्रेस को वोट ना देने की अपील की। आपको पता होना चाहिए कि अरविंद केजरीवाल हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं। दोस्तों आपको ये बताना जरूरी है कि हिसार में कांग्रेस उम्मीदवार पहले ही दिन से तीसरे नंबर पर था, उसके जीतने की कोई उम्मीद नहीं थी, यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी ने भी यहां कोई सभा नहीं की। टीम अन्ना ने यहां कांग्रेस का विरोध एक साजिश के तहत किया, जिससे देश में ये संदेश जाए कि टीम अन्ना जिसे चाहेगी उसे चुनाव हरा सकती है।

अगर टीम अन्ना को अपनी ताकत पर इतना ही गुमान था तो अन्ना के प्रदेश महाराष्ट्र में खड़कवालसा में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस का विरोध क्यों नहीं किया गया। यहां तो कांग्रेस उम्मीदवार पहले नंबर पर है और उसका जीतना पक्का बताया जा रहा है। अगर वहां ये कांग्रेस उम्मीदवार को हराने में कामयाब होते तो कहा जाता कि अन्ना भाग्य विधाता हैं। लेकिन नहीं, अन्ना को समझाया गया कि आप महाराष्ट्र में कांग्रेस उम्मीदवार को नहीं हरा पाएंगे, ऐसे में आपकी छीछालेदर होगी। लिहाजा अन्ना अपने प्रदेश में कांग्रेस का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
मित्रों एक सवाल सीधे आपसे करना चाहता हूं। रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन के बाद उनमें और सरकार के बीच समझौता हुआ कि वो शीतकालीन सत्र में जनलोकपाल बिल संसद में पेश करेंगे। इसके बाद टीम अन्ना ने पूरे देश में विजय दिवस तक मनाया। देश भर में पटाखे छोड़े गए, खुशियां मनाई गईं। फिर अभी संसद का शीतकालीन सत्र शुरू भी नहीं हुआ, फिर  कांग्रेस के खिलाफ टीम अन्ना ने झंडा क्यों बुलंद किया ? बडा सवाल है कि क्या ये विजय दिवस देश की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए मनाया गया था ? चलिए मान लेते हैं कि टीम अन्ना दबाव बनाना चाहती है। अगर दबाव बनाना मकसद था तो विरोध सिर्फ कांग्रेस का क्यों ? बीजेपी और दूसरे राजनीतिक दलों का क्यों नहीं। क्योंकि कांग्रेस चाहे भी तो जब तक उसे दूसरे दलों का समर्थन नहीं मिलेगा, वो इस बिल को लोकसभा में पास नहीं करा सकती। ऐसे में लगता है कि टीम अन्ना की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी है, और उनके सभी फैसलों के पीछे गंदी राजनीति है।
यही वजह है कि अब टीम अन्ना को लगातार मारपीट की धमकी मिल रही है। पहले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने अन्ना पर सीधा हमला बोला और साफ कर दिया कि वो उनसे टकराने की कोशिश बिल्कुल ना करें, क्योंकि वो गांधीवादी नहीं हैं, ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं। अन्ना खामोश हो गए। उनके दूसरे सहयोगी प्रशांत भूषण पर हमला हो गया। अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि उन्हें भी धमकी भरे एसएमएस मिल रहे हैं। ये सब अचानक नहीं है, जब तक लोगों को लगा कि ये टीम देश हित की बात कर रही है, तबतक लोग 48 डिग्री तापमान यानि कडी धूप में रामलीला मैदान में अन्ना के समर्थन में खड़े रहे, लेकिन जब युवाओं को लगा कि ये टीम लोगों को धोखा दे रही है, तो गुस्साए युवाओं ने अपना अलग रास्ता चुन लिया।
अच्छा मैं हैरान हूं अरविंद केजरीवाल के बयानों से। प्रशांत भूषण के मामले में उन्होंने ये तो नहीं कहा कि प्रशांत ने जो बयान दिया है वो गलत है। हां ये जरूर कहा कि प्रशांत टीम अन्ना में बने रहेंगे। क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि केजरीवाल भी प्रशांत भूषण के बयान से सहमत हैं। फिर आज एक और ड्रामेबाजी शुरू की गई। कहा गया  कि लोग अगर हमें पीटने आते हैं तो हमारे कार्यकर्ता पिटने को तैयार हैं। भाई केजरीवाल खुद तो रालेगांवसिद्धि में हैं और घर के बाहर अपने कार्यकर्ताओं को बैठाया कि कोई पीटने आए तो पिट जाना। मजेदार वाकया है, अनशन अन्ना करेंगे, पिटने की बारी आएगी तो कार्यकर्ता करेंगे आप सिर्फ एयर कंडीशन में टाप नेताओं के साथ वार्ता करेंगे। बहुत खूब दोस्त।
बहरहाल टीम अन्ना को मेरी सलाह है कि अब उन्होंने राजनीति शुरू कर ही दी है तो किसी पार्टी के साथ जुड़ जाएं, या फिर अपनी ईमानदार पार्टी बना लें। हालाकि अब इनकी ईमानदारी पर भी उंगली उठने लगी है। इससे कम से कम एक फायदा जरूर होगा कि तिरंगे की आन बान और शान बनी रहेगी, वरना तो ये टीम अन्ना इस तिरंगे को भी गंदी सियासत में शामिल कर इसे दागदार कर देगी।

11 comments:

  1. आपका हर विश्लेषण वास्तविकता के बहुत करीब होता है।

    सादर

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  2. टीम अन्ना शुरू से ही अमेरिकी प्रशासन,अमेरिकी और भारतीय कारपोरेट घरानों के इशारे पर संघ,भाजपा और कांग्रेस के मनमोहन गुट को लाभ पहुंचाने हेतु कार्यरत है। इन लोगों से देशभक्ति की उम्मीद की ही क्यों थी?

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  3. घाट-घाट पर घूम, आज घाटी को माँगें ||


    टांगें टूटी गधे की , धोबी देता छोड़ |
    बच्चे पत्थर मारके, देते माथा फोड़ |

    देते माथा फोड़, रेंकता खा के चाटा |
    मांगे जनमत आज, गधों हित धोबी-घाटा |





    घाट-घाट पर घूम, मुआँ घाटी को माँगें |
    चले चाल अब टेढ़ , तोड़ दे चारों टांगें ||

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  4. सच और स्पष्ट बात हर बात से सहमत हूँ ....aapka aabhar

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  5. इन युवाओं ने जो किया वह गलत है..... पर शायद उनका तरीका गलत था, भावनाएं नहीं.... वो भी देश को कन्‍याकुमारी से कश्‍मीर तक एक हो ये सोचते हैं.... प्रशांत भूषण के बयान को हो सकता है कि उनके बयान को कहीं तोड मरोडकर पेश किया गया हो और इसने इन युवाओं को इस तरह की हरकत करने के लिए उकसाया।
    मैं इन युवाओं की हरकतों के लिए उनका पक्ष नहीं ले रहा पर फिर भी देश में क्‍या अभिव्‍यक्ति के नाम पर कोई कुछ भी... कुछ भी नहीं बोले जा रहा है।
    प्रशांत भूषण ही नहीं अन्‍ना की टीम के प्रत्‍येक सदस्‍य को अपनी बात करने से पहले सोचना चाहिए कि वह क्‍या कह रहे हैं क्‍योंकि देश ने उन पर भरोसा किया है। भरोसे को तोडने वाली हरकत नहीं करनी चाहिए वरना इस देश के जो लोग उनके समर्थन में खडे थे उन्‍हें दूर होने में वक्‍त नहीं लगेगा।
    आपकी बातों से सहमत।

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  6. आपके राजनीतिक विश्लेषण में तत्त्व है. मैं उस दिन से हैरान हूँ जब से केंद्र सरकार ने इस सिविल सोसाइटी को अपने लिए लोकपाल बिल ड्राफ्ट करने के लिए आमंत्रित किया था. जहाँ तक प्रशांत का सवाल है उसे समझना चाहिए कि कश्मीर का मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा गंभीरतम मुद्दा है और देश की सर्वश्रेष्ठ कूटनीति इसमें झोंकी गई है. महज़ ब्यानबाज़ी करने के प्रयोजन से ऐसी बात कहना ठीक नहीं.

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  7. Aapki baat sahi hai, lekin main is lain se ittefaq nahin rakhti ' पर मुझे लगता है कि नौजवानों का जब खून खौलता है तो वो ऐसा कुछ कर देते हैं, खैर मैं इन युवकों के देश प्रेम की भावना को सलाम करता हूं' ।

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  8. देरी हुई ब्लॉग पर आने में ...........
    पर पिछले कुछ दिनों में जो हुआ उसके लिए बस इतना ही कहूँगी कि ...कुछ है जो ठीक नहीं हो रहा ...कहीं ऐसा कुछ ना हो जाये जिसका मुआवजा इस जानता को भरना पड़े ...आधा सच अभी भी छिपा हुआ है

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  9. सच और स्पष्ट....

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  10. उम्दा विश्लेषण

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।