देश के जाने माने शायर मुनव्वर राना का असली चेहरा आज सामने आया। इस उम्र में इतनी घटिया एक्टिंग एक राष्ट्रीय चैनल पर करते हुए उन्हें देखा तो एक बार खुद पर भरोसा नहीं हुआ। लेकिन चैनल ने भी अपनी टीआरपी को और मजबूत करने का ठोस प्लान बना रखा था, लिहाजा मुनव्वर राना का वो घटिया कृत्य बार बार दिखाता रहा। राना का फूहड़ ड्रामा देखकर एक बार तो ये भी भ्रम हुआ कि मैं टीवी का टाँक शो देख रहा हूं या फिर कलर्स चैनल का रियलिटी शो बिग बाँस देख रहा हूं। वैसे नफरत की राजनीति करने वाले राना अगर बिग बाँस के घर के लिए परफेक्ट हैं !
आइये अब पूरा मसला बता दे, रविवार के दिन आमतौर पर न्यूज चैनलों के पास करने को ज्यादा कुछ होता नहीं है। उन्हें कुछ सनसनी टाइप चीजों की जरूरत होती है। इसके लिए आज ABP न्यूज चैनल पर राजनीतिज्ञों के साथ साहित्यकारों को बैठाया गया और साहित्य अकादमी पुरस्कारों के वापस करने पर बहस शुरू हुई। सच ये हैं कि देश की जनता आज तक ये नहीं समझ पाई कि साहित्यकार अचानक सम्मान वापस क्यों कर रहे हैं। सोशल साइट पर तो भले ही बात मजाक में कही जा रही हो लेकिन कुछ हद तक सही भी लगती है। " शायद साहित्यकारों ने अपना ही लिखा दोबारा पढ़ लिया और उन्हें शर्म आ रही है कि ऐसी लेखनी पर तो वाकई अवार्ड नहीं बनता, चलो वापस कर दें " । मुझे तो हंसी इस बात पर आ रही है कि साहित्य अकादमी का पुरस्कार वापसी के बाद पता चल रहा है कि इन्हें भी मिल चुका है ये अवार्ड ।
चलिए अब सीधे मुनव्वर राना से बात करते हैं । जनाब आप तो कमाल के आदमी हैं, अवार्ड में मिले रुपये का चेक और मोमेंटो हमेशा साथ झोले में रख कर चलते हैं। आप तो टीवी शो पर एक बहस मे हिस्सा लेने आए थे, यहीं आपने चेक और मोमेंटो एंकर को थमा दिया। मै जानता हूं आपको खबरों और उसकी सुर्खियों में बने रहने का सलीका पता है। राना साहब ये सब संयोग तो बिल्कुल नहीं हो सकता । मैं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि या तो आपने चैनल के साथ समझौता किया कि हम यहां अवार्ड वापस करेंगे और आपको उसके बाद पूरा शो इसी पर दिखाना है या फिर रायबरेली की उस पार्टी इशारे पर नाच रहे हैं जिसकी आप चरण वंदना करते नहीं थकते हैं। वैसे राना साहब आपके ही किसी शायर की दो लाइन याद आ रही है ....
कौन सी बात कब कहां और कैसे कही जाती है
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है ।
शायर की ये बेसिक बात भी आप भूल गए राना जी। न्यूज रूम कैमरा देख इतना भावुक हो गए कि आपने देश की इज्जत को ही दांव पर लगा दिया । चलिए मैं देखता हूं कि आप कितने अमीर हैं और हमारे कितने अवार्ड वापस करते हैं। अगर है आप में दम और औकात तो आपको सुनने के लिए देर रात तक मुशायरे में बैठे रहने वाला समय हमें वापस कीजिए। है औकात तो देशवासियों से मिली तालियां वापस कीजिए, है इतनी हैसियत तो हमारी वाहवाही भी वापस कीजिए। इतना ही नहीं अगर आपके पूरे खानदान की औकात हो तो देशवासियों ने जो प्यार आपको दिया है वो वापस कीजिए। राना जी राजनीति घटिया खेल है, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन आप उसी घटिया राजनीति के शुरू से हिस्सा रहे हैं।
टीवी पर एंकर कमजोर थी, शो का प्रोड्यूसर भी शायद आपके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता था। वरना तो उसी ABP न्यूज चैनल पर आपका असली रूप दिखा और सुना भी सकता था। लोगों को भी आपकी असलियत का पता तो चलता । आप को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी कितनी प्रिय हैं ये तो सबको पता होना ही चाहिए ।
सोनियां गांधी के चरणों में मुनव्वर राना की भेंट । पढ़ तो लीजिए ही उनकी भावनाओं को, लेकिन संभव हो तो यूट्यूब पर जाकर इसे राना साहब की आवाज में सुनें भी, देखिए कितना दर्द है उनके भीतर ...
एक बेनाम सी चाहत के लिए आयी थी,
आप लोंगों से मोहब्बत के लिए आयी थी,
मैं बड़े बूढों की खिदमत के लिए आयी थी,
कौन कहता है हुकूमत के लिए आयी थी ?
शिज्रा-ए-रंग-व-गुल-व-बू नहीं देखा जाता,
शक की नज़रों से बहु को नहीं देखा जाता !
रुखसती होते ही माँ बाप का घर भूल गयी,
भाई के चेहरों को बहनों की नज़र भूल गयी,
घर को जाती हुयी हर राहगुज़र भूल गयी,
में वह चिड़िया हूँ जो अपना ही शजर भूल गयी,
में तो जिस देश में आयी थी वही याद रहा,
होके बेवा भी मुझे सिर्फ पति याद रहा !
नफरतों ने मेरे चेहरे से उजाला छीना,
जो मेरे पास था वह चाहने वाला छीना,
सर से बच्चों के मेरे बाप का साया छीना,
मुझ से गिरजा भी लिया मेरा शिवाला छीना,
अब यह तकदीर तो बदली भी नहीं जा सकती,
में वो बेवा हूँ जो इटली भी नहीं जा सकती !
अपने घर में यह बहुत देर कहाँ रहती है,
लेके तकदीर जहाँ जाये वहां रहती है,
घर वही होता है औरत का जहाँ रहती है,
मेरे दरवाज़े पे लिख दो यहाँ माँ रहती है,
सब मेरे बाग़ के बुलबुल की तरह लगते है,
सारे बच्चे मुझे 'राहुल' की तरह लगते हैं !
हर दुखे दिल से मोहब्बत है बहु का ज़िम्मा,
घर की इज्ज़त की हिफाज़त है बहु का ज़िम्मा,
घर के सब लोंगों की खिदमत है बहु का ज़िम्मा,
नौजवानी की इबादत है बहु का ज़िम्मा आयी,
बाहर से मगर सब की चहीती बनकर,
वह बहु है जो रहे साथ में बेटी बनकर !
राना साहब आपकी हैसियत नहीं है देश से मिले सम्मान को वापस करने की। आपको देश से माफी मांगनी चाहिए । वरना देश आपको कभी माफ नहीं करेगा।
आइये अब पूरा मसला बता दे, रविवार के दिन आमतौर पर न्यूज चैनलों के पास करने को ज्यादा कुछ होता नहीं है। उन्हें कुछ सनसनी टाइप चीजों की जरूरत होती है। इसके लिए आज ABP न्यूज चैनल पर राजनीतिज्ञों के साथ साहित्यकारों को बैठाया गया और साहित्य अकादमी पुरस्कारों के वापस करने पर बहस शुरू हुई। सच ये हैं कि देश की जनता आज तक ये नहीं समझ पाई कि साहित्यकार अचानक सम्मान वापस क्यों कर रहे हैं। सोशल साइट पर तो भले ही बात मजाक में कही जा रही हो लेकिन कुछ हद तक सही भी लगती है। " शायद साहित्यकारों ने अपना ही लिखा दोबारा पढ़ लिया और उन्हें शर्म आ रही है कि ऐसी लेखनी पर तो वाकई अवार्ड नहीं बनता, चलो वापस कर दें " । मुझे तो हंसी इस बात पर आ रही है कि साहित्य अकादमी का पुरस्कार वापसी के बाद पता चल रहा है कि इन्हें भी मिल चुका है ये अवार्ड ।
चलिए अब सीधे मुनव्वर राना से बात करते हैं । जनाब आप तो कमाल के आदमी हैं, अवार्ड में मिले रुपये का चेक और मोमेंटो हमेशा साथ झोले में रख कर चलते हैं। आप तो टीवी शो पर एक बहस मे हिस्सा लेने आए थे, यहीं आपने चेक और मोमेंटो एंकर को थमा दिया। मै जानता हूं आपको खबरों और उसकी सुर्खियों में बने रहने का सलीका पता है। राना साहब ये सब संयोग तो बिल्कुल नहीं हो सकता । मैं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि या तो आपने चैनल के साथ समझौता किया कि हम यहां अवार्ड वापस करेंगे और आपको उसके बाद पूरा शो इसी पर दिखाना है या फिर रायबरेली की उस पार्टी इशारे पर नाच रहे हैं जिसकी आप चरण वंदना करते नहीं थकते हैं। वैसे राना साहब आपके ही किसी शायर की दो लाइन याद आ रही है ....
कौन सी बात कब कहां और कैसे कही जाती है
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है ।
शायर की ये बेसिक बात भी आप भूल गए राना जी। न्यूज रूम कैमरा देख इतना भावुक हो गए कि आपने देश की इज्जत को ही दांव पर लगा दिया । चलिए मैं देखता हूं कि आप कितने अमीर हैं और हमारे कितने अवार्ड वापस करते हैं। अगर है आप में दम और औकात तो आपको सुनने के लिए देर रात तक मुशायरे में बैठे रहने वाला समय हमें वापस कीजिए। है औकात तो देशवासियों से मिली तालियां वापस कीजिए, है इतनी हैसियत तो हमारी वाहवाही भी वापस कीजिए। इतना ही नहीं अगर आपके पूरे खानदान की औकात हो तो देशवासियों ने जो प्यार आपको दिया है वो वापस कीजिए। राना जी राजनीति घटिया खेल है, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन आप उसी घटिया राजनीति के शुरू से हिस्सा रहे हैं।
टीवी पर एंकर कमजोर थी, शो का प्रोड्यूसर भी शायद आपके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता था। वरना तो उसी ABP न्यूज चैनल पर आपका असली रूप दिखा और सुना भी सकता था। लोगों को भी आपकी असलियत का पता तो चलता । आप को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी कितनी प्रिय हैं ये तो सबको पता होना ही चाहिए ।
सोनियां गांधी के चरणों में मुनव्वर राना की भेंट । पढ़ तो लीजिए ही उनकी भावनाओं को, लेकिन संभव हो तो यूट्यूब पर जाकर इसे राना साहब की आवाज में सुनें भी, देखिए कितना दर्द है उनके भीतर ...
एक बेनाम सी चाहत के लिए आयी थी,
आप लोंगों से मोहब्बत के लिए आयी थी,
मैं बड़े बूढों की खिदमत के लिए आयी थी,
कौन कहता है हुकूमत के लिए आयी थी ?
शिज्रा-ए-रंग-व-गुल-व-बू नहीं देखा जाता,
शक की नज़रों से बहु को नहीं देखा जाता !
रुखसती होते ही माँ बाप का घर भूल गयी,
भाई के चेहरों को बहनों की नज़र भूल गयी,
घर को जाती हुयी हर राहगुज़र भूल गयी,
में वह चिड़िया हूँ जो अपना ही शजर भूल गयी,
में तो जिस देश में आयी थी वही याद रहा,
होके बेवा भी मुझे सिर्फ पति याद रहा !
नफरतों ने मेरे चेहरे से उजाला छीना,
जो मेरे पास था वह चाहने वाला छीना,
सर से बच्चों के मेरे बाप का साया छीना,
मुझ से गिरजा भी लिया मेरा शिवाला छीना,
अब यह तकदीर तो बदली भी नहीं जा सकती,
में वो बेवा हूँ जो इटली भी नहीं जा सकती !
अपने घर में यह बहुत देर कहाँ रहती है,
लेके तकदीर जहाँ जाये वहां रहती है,
घर वही होता है औरत का जहाँ रहती है,
मेरे दरवाज़े पे लिख दो यहाँ माँ रहती है,
सब मेरे बाग़ के बुलबुल की तरह लगते है,
सारे बच्चे मुझे 'राहुल' की तरह लगते हैं !
हर दुखे दिल से मोहब्बत है बहु का ज़िम्मा,
घर की इज्ज़त की हिफाज़त है बहु का ज़िम्मा,
घर के सब लोंगों की खिदमत है बहु का ज़िम्मा,
नौजवानी की इबादत है बहु का ज़िम्मा आयी,
बाहर से मगर सब की चहीती बनकर,
वह बहु है जो रहे साथ में बेटी बनकर !
राना साहब आपकी हैसियत नहीं है देश से मिले सम्मान को वापस करने की। आपको देश से माफी मांगनी चाहिए । वरना देश आपको कभी माफ नहीं करेगा।
राना साहब आपकी हैसियत नहीं है देश से मिले सम्मान को वापस करने की। आपको देश से माफी मांगनी चाहिए
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबढिया लेख है ।Seetamni.blogspot.in
ReplyDeleteक्या बात है !.....बेहद खूबसूरत शब्दों में सत्य......
ReplyDeleteआप को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@आओ देखें मुहब्बत का सपना(एक प्यार भरा नगमा)
नयी पोस्ट@धीरे-धीरे से
शायद साहित्यकारों ने अपना ही लिखा दोबारा पढ़ लिया और उन्हें शर्म आ रही है कि ऐसी लेखनी पर तो वाकई अवार्ड नहीं बनता, चलो वापस कर दें " । bahut badhiya!
ReplyDelete🙏नौकरी करने वाले ओर नौकरी ढूँढने🙏 वाले ध्यान से पढ़े फिर जोइन किजिए जोइन करके आप 30000/50000 हजार महिने कमा सकते हैं विश्वास रखिए कोई झुठ नहीं है एक बार करके देखिए झूठा निकला तो छोड दिजिगा जोइन होने मे कोई पैसा नही लगेगे एकदम फ्री जोइनिंग है। किया करना है ध्यान से पढिए
ReplyDelete1⃣. Play Store मैं जाकर Champcash Install करो और उसे Open करो।
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