रोजाना कुछ ऐसी बातें होती हैं कि खुद को रोक नहीं पाता और चला आता हूं आप सबकी अदालत में एक नई जानकारी के साथ। कुछ मित्रों की सलाह थी कि कुछ दिन केजरीवाल साहब को काम करने दीजिए, फिर उनकी समीक्षा की जाएगी। मैने सोचा बात भी सही है, मौका तो मिलना ही चाहिए। लेकिन रोज कुछ ना कुछ ऐसा हो रहा है, जिससे मजबूर होकर इनके बारे में लिखना जरूरी हो जाता है। अब देखिए ...."आप "के मंत्री रात को रैन बसेरा की हालत देखने जाने के पहले इलेक्ट्रानिक मीडिया के दफ्तर में फोन करते हैं। पूछते हैं कि नाइट शिफ्ट का रिपोर्टर आफिस आ गया है क्या ? जब आफिस से बताया जाता है कि हां आ गया है, तो कहा जाता है कि उसे भेज दीजिए, मैं रैन बसेरा देखने जा रहा हूं। आफिस से जवाब मिलता है कि नहीं आज तो रिपोर्टर कहीं और बिजी है, तो बताया जाता है कि आज तो जरूर भेज दीजिए, क्योंकि एक्सक्लूसिव खबर मिलेगी ! जब मंत्री एक्सक्लूसिव खबर की बात करें तो तमाम चैनलों के रिपोर्टर मौके पर पहुंच ही जाते हैं। रिपोर्टरों के मौके पर आ जाने के बाद मंत्री का चेला मंत्री को बताता है कि आ जाइये, रिपोर्टर पहुंच गए हैं। थोड़ी देर में ही मंत्री पहुंच जाते हैं और रिपोर्टर से पूछते हैं कि आप सबका कैमरा चालू हो गया है, शुरू करूं मौके मुआयना। रिपोर्टर कहते हैं हां सर ! हम सब रेडी हैं।
अब " आप "के मंत्री जी रैन बसेरा के अंदर जाते हैं, यहां लोगों की हालत देखते हैं और लोगों से उनकी तकलीफ सुनते हैं। 15 मिनट बाद जब मंत्री जी वापस लौटने के लिए निकलने लगते हैं तो एक रिपोर्टर कहता है, सर मजा नहीं आया। ये तो आप कल भी कर चुके थे, मुझे तो लगता नहीं कि चैनल पर आज दोबारा ये कहानी चल पाएगी, क्योंकि इसमें कुछ नया तो है नहीं। रिपोर्टर सलाह देते हैं कि खबर चलवानी है तो ... चलिए किसी अफसर के घर और उन्हें रात में ही जगाकर कैमरे के सामने डांटिए..। मंत्री मुस्कुराने लगते हैं, रिपोर्टरों से कहते हैं ..नहीं ...नहीं.. , ज्यादा हो जाएगा। फिर रिपोर्टर सलाह देते हैं कि अच्छा अफसर को फोन मिला लीजिए और उसे जोर-जोर डांटिए । हम लोग यही शूट कर लेते हैं।
बेचारे मंत्री जी अब फंस गए, उन्होंने कहा कि इतनी रात में अफसर को फोन मिलाना ठीक नहीं है। तब एक बड़े चैनल के रिपोर्टर ने सलाह दी, अरे सर ..चलिए फोन मिलाइये मत, बस मोबाइल को कान के पास लगाकर डांट - डपट कर दीजिए। कैमरे पर ये थोड़ी दिखाई पड़ेगा कि बात किससे हो रही है। मंत्री जी ये करने के लिए तत्काल तैयार हो गए। मंत्री ने कहा चलिए जी, कैमरा चालू कीजिए, हम अभी फोन पर अफसरों को गरम करते है। एक मिनट में मंत्री ने मूड बनाया और फिर एक सांस मे लगे अफसर को डांटने। पूरा ड्रामा मंत्री ने इतनी सफाई से की कि बेचारे रिपोर्टर भी बीच में कुछ बोल नहीं पाए। जब मंत्री की बात खत्म हो गई, तब एक कैमरामैन अपने रिपोर्टर से बोला, भाई कुछ भी रिकार्ड नहीं हुआ है, मंत्री जी अंधेरे में ही चालू हो गए।
तब सभी रिपोर्टरों ने एक साथ मंत्री से कहा " सर.. बहुत बढिया था, बस इसी मूड में एक बार और करना होगा, क्योंकि जहां आप खड़े थे.. वहां लाइट कम थी, आप का चेहरा बड़ा काला काला आया है, चेहरे पर गुस्सा दिखाई भी नहीं दे रहा है। मंत्री ने पूछा फिर क्या करें ? कुछ नहीं बस अब आपको वहां खड़ा करते हैं, जहां थोड़ी लाइट होगी, इससे आपका चेहरा चमकता हुआ आएगा और लाइट में चेहरे पर गुस्सा भी साफ दिखाई देगा। बस फिर क्या, मंत्री जी ने दोबारा फोन पर अफसर को डांट लगा दी । चलते-चलते सब से पूछ लिया अब ठीक है ना, कोई दिक्कत तो नहीं। रिपोर्टरों की तरफ से आवाज आई, नहीं सर, अब बिल्कुल ठीक है। चलिए आप लोग भी जाइए आराम कीजिए, हम भी जा रहे हैं आराम करने।
रैन बसेरों के औचक निरीक्षण का यही असली चेहरा है, वरना सप्ताह भर पहले मंत्री ने कहाकि 48 घंटे के भीतर दिल्ली मे 45 रैन बसेरा बनकर तैयार हो जाना चाहिए। अगर तैयार नहीं हुआ तो अफसरों की खैर नहीं। अब क्या बताए यहां 48 घंटा नहीं 148 घंटा बीत गया है, लेकिन दिल्ली में कोई नया रैन बसेरा नहीं बनाया गया। मैं जानना चाहता हूं कि जो मंत्री रात मे मोबाइल पर अफसरों को गरम करते हुए खुद को शूट करा रहे थे, क्या कोई जवाब है उनके पास ? मंत्री जी बताएंगे कि किस अफसर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई ? दरअसल सच्चाई ये है कि इस समय दिल्ली में बहुत ही टुच्ची राजनीति चल रही है। कहा जा रहा है मंत्री लाल बत्ती नहीं लेगें। अरे भाई लाल बत्ती लोगे तो आम आदमी का क्या नुकसान हो जाएगा और नहीं लेने से उसे क्या फायदा हो जाएगा। पगलाई इलेक्ट्रानिक मीडिया भी पूरे दिन इसी पर चर्चा कर रही है। बात मंत्रियों की सुरक्षा की होने लगती है, कुल मिलाकर छह तो मंत्री है, वो सुरक्षा नहीं लेगें, इससे आम आदमी पर क्या फर्क पडने वाला है। हम कुछ नहीं कहेंगे, आप सुरक्षा भी लीजिए, गाड़ी भी लीजिए, बत्ती भी लीजिए, बंगला भी लीजिए.. मसलन मंत्री के तौर पर जो सुविधा मिलती है, सब ले लीजिए, लेकिन दिल्ली के लिए कुछ काम कीजिए। हल्के बयानों से कुछ नहीं होने वाला है, ये दिल्ली है, प्लीज इसे दिल्ली ही रहने दीजिए।
यहां बात वो होनी चाहिए जिससे आम आदमी की मुश्किलें आसान हो, लेकिन आज बात वो की जा रही है, जिससे आम जनता खुश हो और ताली बजाए। ठीक उसी तरह जैसे रामलीला के दौरान जोकर के आने पर लोग ताली बजाते हैं। दिल्ली की आज सच्चाई ये है कि अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ही चर्चा कर लें, तो इस समय आँटो वाले बेलगाम हो गए हैं। मनमानी किराया तो आम बात रही है, अब वो सवारी के साथ बेहूदगी भी करने लगे हैं। मसला क्या है, बस आम आदमी की सरकार है, लिहाजा अब वो कुछ भी करने को आजाद हैं, उनका कोई कुछ नहीं कर सकता। ये मैसेज है आज दिल्ली में। खैर धीऱे धीरे ही सही, लेकिन सब कुछ अब सामने आने लगा है।
अब " आप "के मंत्री जी रैन बसेरा के अंदर जाते हैं, यहां लोगों की हालत देखते हैं और लोगों से उनकी तकलीफ सुनते हैं। 15 मिनट बाद जब मंत्री जी वापस लौटने के लिए निकलने लगते हैं तो एक रिपोर्टर कहता है, सर मजा नहीं आया। ये तो आप कल भी कर चुके थे, मुझे तो लगता नहीं कि चैनल पर आज दोबारा ये कहानी चल पाएगी, क्योंकि इसमें कुछ नया तो है नहीं। रिपोर्टर सलाह देते हैं कि खबर चलवानी है तो ... चलिए किसी अफसर के घर और उन्हें रात में ही जगाकर कैमरे के सामने डांटिए..। मंत्री मुस्कुराने लगते हैं, रिपोर्टरों से कहते हैं ..नहीं ...नहीं.. , ज्यादा हो जाएगा। फिर रिपोर्टर सलाह देते हैं कि अच्छा अफसर को फोन मिला लीजिए और उसे जोर-जोर डांटिए । हम लोग यही शूट कर लेते हैं।
बेचारे मंत्री जी अब फंस गए, उन्होंने कहा कि इतनी रात में अफसर को फोन मिलाना ठीक नहीं है। तब एक बड़े चैनल के रिपोर्टर ने सलाह दी, अरे सर ..चलिए फोन मिलाइये मत, बस मोबाइल को कान के पास लगाकर डांट - डपट कर दीजिए। कैमरे पर ये थोड़ी दिखाई पड़ेगा कि बात किससे हो रही है। मंत्री जी ये करने के लिए तत्काल तैयार हो गए। मंत्री ने कहा चलिए जी, कैमरा चालू कीजिए, हम अभी फोन पर अफसरों को गरम करते है। एक मिनट में मंत्री ने मूड बनाया और फिर एक सांस मे लगे अफसर को डांटने। पूरा ड्रामा मंत्री ने इतनी सफाई से की कि बेचारे रिपोर्टर भी बीच में कुछ बोल नहीं पाए। जब मंत्री की बात खत्म हो गई, तब एक कैमरामैन अपने रिपोर्टर से बोला, भाई कुछ भी रिकार्ड नहीं हुआ है, मंत्री जी अंधेरे में ही चालू हो गए।
तब सभी रिपोर्टरों ने एक साथ मंत्री से कहा " सर.. बहुत बढिया था, बस इसी मूड में एक बार और करना होगा, क्योंकि जहां आप खड़े थे.. वहां लाइट कम थी, आप का चेहरा बड़ा काला काला आया है, चेहरे पर गुस्सा दिखाई भी नहीं दे रहा है। मंत्री ने पूछा फिर क्या करें ? कुछ नहीं बस अब आपको वहां खड़ा करते हैं, जहां थोड़ी लाइट होगी, इससे आपका चेहरा चमकता हुआ आएगा और लाइट में चेहरे पर गुस्सा भी साफ दिखाई देगा। बस फिर क्या, मंत्री जी ने दोबारा फोन पर अफसर को डांट लगा दी । चलते-चलते सब से पूछ लिया अब ठीक है ना, कोई दिक्कत तो नहीं। रिपोर्टरों की तरफ से आवाज आई, नहीं सर, अब बिल्कुल ठीक है। चलिए आप लोग भी जाइए आराम कीजिए, हम भी जा रहे हैं आराम करने।
रैन बसेरों के औचक निरीक्षण का यही असली चेहरा है, वरना सप्ताह भर पहले मंत्री ने कहाकि 48 घंटे के भीतर दिल्ली मे 45 रैन बसेरा बनकर तैयार हो जाना चाहिए। अगर तैयार नहीं हुआ तो अफसरों की खैर नहीं। अब क्या बताए यहां 48 घंटा नहीं 148 घंटा बीत गया है, लेकिन दिल्ली में कोई नया रैन बसेरा नहीं बनाया गया। मैं जानना चाहता हूं कि जो मंत्री रात मे मोबाइल पर अफसरों को गरम करते हुए खुद को शूट करा रहे थे, क्या कोई जवाब है उनके पास ? मंत्री जी बताएंगे कि किस अफसर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई ? दरअसल सच्चाई ये है कि इस समय दिल्ली में बहुत ही टुच्ची राजनीति चल रही है। कहा जा रहा है मंत्री लाल बत्ती नहीं लेगें। अरे भाई लाल बत्ती लोगे तो आम आदमी का क्या नुकसान हो जाएगा और नहीं लेने से उसे क्या फायदा हो जाएगा। पगलाई इलेक्ट्रानिक मीडिया भी पूरे दिन इसी पर चर्चा कर रही है। बात मंत्रियों की सुरक्षा की होने लगती है, कुल मिलाकर छह तो मंत्री है, वो सुरक्षा नहीं लेगें, इससे आम आदमी पर क्या फर्क पडने वाला है। हम कुछ नहीं कहेंगे, आप सुरक्षा भी लीजिए, गाड़ी भी लीजिए, बत्ती भी लीजिए, बंगला भी लीजिए.. मसलन मंत्री के तौर पर जो सुविधा मिलती है, सब ले लीजिए, लेकिन दिल्ली के लिए कुछ काम कीजिए। हल्के बयानों से कुछ नहीं होने वाला है, ये दिल्ली है, प्लीज इसे दिल्ली ही रहने दीजिए।
यहां बात वो होनी चाहिए जिससे आम आदमी की मुश्किलें आसान हो, लेकिन आज बात वो की जा रही है, जिससे आम जनता खुश हो और ताली बजाए। ठीक उसी तरह जैसे रामलीला के दौरान जोकर के आने पर लोग ताली बजाते हैं। दिल्ली की आज सच्चाई ये है कि अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ही चर्चा कर लें, तो इस समय आँटो वाले बेलगाम हो गए हैं। मनमानी किराया तो आम बात रही है, अब वो सवारी के साथ बेहूदगी भी करने लगे हैं। मसला क्या है, बस आम आदमी की सरकार है, लिहाजा अब वो कुछ भी करने को आजाद हैं, उनका कोई कुछ नहीं कर सकता। ये मैसेज है आज दिल्ली में। खैर धीऱे धीरे ही सही, लेकिन सब कुछ अब सामने आने लगा है।
ye andesha to bahut pahle se tha kyonki kaam karne vale bolte kam karte jyada hain yaha to 9 december se baate hi baate sunai de rahi hai ..vaise agli baar kisi reporter se kahiye ki mantri ko salh dene vala reharsal vala video bhi taiyaar kare ...media ka kaam asliyat dikhana jo hai ..
ReplyDeleteहोना तो चाहिए, पर क्या कहें...
Deletesahmat hoon .....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteसही है, नौटकीं की बजाए कुछ काम होना चाहिए, नहीं तो जान लो, ये वही पब्लिक है जिसने आम से खास बनाया है।
ReplyDeleteयही बात समझाने की कोशिश हो रही है..
Delete६ महीने में सारी हकीकत सबके सामने आ जायेगी,
ReplyDeleteमुझे तो लगता है कि और जल्दी ये बेनकाब हो जाएंगे..
Deleteदेखते हैआगे क्याक्या होता है..?
ReplyDeleteजी, इसका तो हमें इंतजार है..
Deleteबहुत बहुत आभार
ReplyDeleteबढ़िया ... बेहतरीन. मीडिया का यही काम होना चाहिए जो की आप (सोरी तुम कहना पड़ेगा - पर सिनोरीटी का ध्यान आ रहा है.) यहाँ ब्लॉग्गिंग पर कर रहे हैं. बाकी धीरेन्द्र जी ६ महिना का समय दे रहे हैं... जी मैं तो कहता हूँ - पूरा पांच साल है - पर कुछ तो कीजिए. - लोगो के दिल टूटने से तो बचे.
ReplyDeleteपता नहीं आप तारीफ कर रहे हैं या फिर !
Deleteलेकिन मैं तो तारीफ ही समझ कर आपका आभार कर रहा हूं..
तारीफ कर रहे हैं सर, मेरा तात्पर्य यह था की जो मुख्य मीडिया को दिखाना चाहिय वो हम ब्लोग्ग पर आपकी पोस्ट में पढ़ रहे हैं.
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनमस्कार भाई जी,
ReplyDeleteइतनी कड़वी सच्चाई आप लिख रहे हैं, ये ठीक नही है....... ना ना इसे धमकी कि तरह मत लीजिये शायद आपके चेनल हेड इसे अनुशासन हीनता मान सकते हैं, जो शायद ......??
भाई जी आप इजाजत दें तो आपके ही नाम से मैं इसे अपने वेब पोर्टल www.indiannewsbeauro.com पर लगाना चाहता हूँ
शुक्रिया
Deleteराजनीति का खेल बड़ा ही निराला है और खिलाडी नए है तो ड्रामा जल्द ही ख़त्म होगा ............
ReplyDeleteमुझे भी लगता है
Deleteसार्थक प्रस्तुति हेतु बधाई .नव वर्ष के हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत उम्दा आलेख...
ReplyDeleteकुछ काम शुरु हो तो पता लगे..अभी तक तो कोई कारगर सस्टेनेबल योजना दिखी नहीं...जो चलती रहे..ये फ्पारी नी बिजली आधे दाम पर आदि तो सब चुनावी स्टंट है...
बिल्कुल सही, यही बात तो मैं भी समझाने की कोशिश कर रहा हूं।
Deleteआभार
आपकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है..! क्या कहा जाय.आगे-आगे देखते हैं।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteइसके विपरीत राजस्थान में देखो, मुख्यमंत्री तो क्या किसी भी मंत्री और विधायक को केमरे के सामने आने की फुर्सत नहीं है। यहां तक कि उनका फोन भी बन्द है। बस वे लगातार काम कर रहे हैं जिससे एक बेहतर कार्ययोजना तैयार की जा सके। यहां तो मुख्यमंत्री भी रोज ही केमरे के सामने हैं। भ्रष्टाचार और मंहगाई कैसे कम होगी इसपर कोई भी कार्ययोजना अभी तक नहीं आयी है। केवल नौटंकी हो रही है और इस नौटंक के निदेशक मीडिया है।
ReplyDeleteसही कहा आपने, यहां तो काम धाम तो दूर सारे मंत्री चैनलों में घूम रहे हैं।
Deleteऔचक होवे जांच जब, मुखड़े पर हो रोष ।
ReplyDeleteकरिये अभिनय आप फिर, गर कैमरा सदोष ।
गर कैमरा सदोष, कहीं राखी की साखी ।
सिसोदिया कि कार, कहीं भूषण ने भाखी ।
अजब गजब विश्वास, किन्तु दिल्ली है चक चक ।
ख़तम हुई नहिं आस, निरीक्षण होते औचक ॥
क्या बात, बहुत सुंदर
Deleteआभार
परदे के पीछे से सारा खेल मीडिया ही तो खेल रहा है वर्ना ये खेल तो कब का पिट चूका है !!
ReplyDeleteसहमत हूं
Deleteकहने और करने में फर्क है , जैसा कहते हैं वैसा करने में उन्हें अपनी इमानदारी ,कार्यकौशल और सूझ बुझ का परिचय देना पड़ेगा ,अन्यथा जिस रास्ते आये हैं उसी में जाना पड़ेगा !
ReplyDeleteनई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
सही कहा आपने,
Deleteआभार
आपकी बातों में दाम है...और जो काम करने वाले होते वह प्रचार नहीं करते........स्वस्थ आलोचना...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteबहुत बहुत आभार
ReplyDeletebilkul sahi likha hai bhai aap ne... Dhanyavaad....Yahi asliyat logo ko bhi pata honi chahiye..
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
Deleteनाटक करके काम दिखाना ही अब समाज सेवा है, कथनी और करनी में अंतर तो अब दिख ही रहा है...कल तीन खबरें ऐसी ही थीं...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
बहुत बहुत आभार
Deleteवाह
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete