Thursday, 12 December 2013

कुर्सी से भाग रहे हैं केजरीवाल !

पको ऐसा नहीं लग रहा कि केजरीवाल अब कुछ ज्यादा बोल रहे हैं ? इन दिनों उनमें कुछ ज्यादा ही अहम दिखाई दे रहा है। उनके बयानों से लगता है कि या तो वो दिल्ली की  जनता को मुर्ख समझ रहे हैं या फिर एक साजिश के तहत मूर्खता कर रहे हैं। उन्होंने जीत के जश्न में कहाकि भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने से डर रही है। ये बात केजरीवाल किस आधार पर कर रहे हैं, ये तो वही बता सकते हैं, क्योंकि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए जो जरूरी संख्या है, वो किसी के पास  नहीं है। आइए पहले मैं आपको विधानसभा का गणित समझा दूं। दिल्ली की 70 विधान सभा सीट में बहुमत के लिए 36 विधायकों का समर्थन चाहिए। बीजेपी के पास महज 32 ही विधायक हैं, आप के पास 28 और कांग्रेस के पास 8 जबकि दो अन्य सदस्य हैं। बीजेपी को कांग्रेस और आप दोनों ने ही समर्थन देने से इनकार कर दिया है, फिर कैसे बन सकती है सरकार ? अब इसका जवाब तो केजरीवाल के पास ही होगा।

बीजेपी को अगर सरकार बनानी है तो उसे कम से कम चार विधायकों का समर्थन जुटाना होगा। माना की बीजेपी बहुत कोशिश करेगी तो जो अन्य दो सदस्य जीते हैं, उनका समर्थन हासिल कर सकती है, लेकिन बाकी दो विधायक कहां से आएंगे, ये मैं केजरीवाल से ही पूछना चाहता हूं। समर्थन जुटाने के लिए अगर बीजेपी दूसरी पार्टियों यानि कांग्रेस या आप  को तोड़ने की कोशिश करे तो उसे दो तिहाई सदस्यों को तोड़ना होगा। मसलन कांग्रेस के 8 विधायकों में जब तक छह लोग एक साथ पार्टी से विद्रोह नहीं करेंगे, वो कांग्रेस से अलग नहीं हो सकते। इसी तरह अगर केजरीवाल की पार्टी आप को तोड़ना हो तो उसके 28 सदस्यों में दो तिहाई का मतलब 19 विधायकों को पार्टी में विद्रोह करना होगा। अब केजरीवाल ही बताएं कि उनके 19 विधायकों को क्या बीजेपी तोड़ सकती है ? या फिर वो ये कहना चाहते हैं कि कांग्रेस के 6 विधायक आसानी से बीजेपी को समर्थन दे देंगे ? इन हालातों में बीजेपी सरकार बनाने के लिए भला कैसे आगे आ सकती है ?

दिल्ली का जो गणित है, उसके आधार पर बीजेपी कैसे सरकार बना सकती है जो वो नहीं बना रही है ? ये बात दिल्ली की जनता को अरविंद केजरीवाल ही समझा दें। क्या उन्हें ये लगता है कि उनकी पार्टी या फिर कांग्रेस के लोग टूटने के लिए बेकरार हैं, लेकिन बीजेपी नहीं तोड़ रही है ? ऐसे में बीजेपी की सरकार तो बनने से रही। बात कांग्रेस की करें, तो  उसकी सरकार किसी सूरत में नहीं बन सकती। उनके पास महज आठ सदस्य हैं, बीजेपी उसे समर्थन दे नहीं सकती, और केजरीवाल ने समर्थन देने से इनकार कर दिया है। इन हालातों में बाकी कौन बचता है ? बाकी बचते हैं, केजरीवाल और उनकी पार्टी आप ।

अब आप कहेंगे कि आप क्यों सरकार बनाए ? दरअसल कांग्रेस विधायक दल की बैठक में तय हुआ है कि वो केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने के लिए तैयार हैं। अगर कांग्रेस बिना शर्त समर्थन दे रही है तो केजरीवाल साहब आप सरकार बनाने के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे हैं ? राजनीति में सहयोग और समर्थन जरूरी है। वरना तो कोई भी सरकार नहीं चल सकती। जनता ये भी जानना चाहती है कि बिना शर्त समर्थन लेने से आप क्यों भाग रहे हैं ? अब अगर मैं आपसे कहूं कि आप सरकार  बनाने से खुद डर रहे हैं, क्योकि जब आपके हाथ में माइक होता तो आप क्या बोल रहे हैं, उस पर तो नियंत्रण है नहीं, कुछ भी बोलते हैं। लंबे चौडे जो वादे आपने जनता के सामने किए हैं, उसे भी पूरा करना होगा, वरना अगले चुनाव में जनता आपका हिसाब पूरा कर देगी।

केजरीवाल साहब मुख्यमंत्री बनिए, दिल्ली की जनता चाहती है कि आप मुख्यमंत्री बनें और बिजली दरों को आधी कर दें। आपका सबसे बड़ा मुद्दा ही ये रहा है कि सरकार बनते ही बिजली दरों को आधी करेंगे। अब वक्त आ गया है, दिल्ली में कम दर पर बिजली मिलने का। लेकिन अंदर की बात ये है कि आप बिजली दरों को जैसे ही आधी करने को कहेंगे, बिजली कंपनियां दिल्ली को अंधेरे में छोड़ कर दूसरे राज्य को चली जाएंगी। उसके बाद पड़ने वाली गाली से बचने के लिए यही अच्छा है कि आप कुर्सी से दूर रहें और साजिश के तहत आप कुर्सी पर नहीं बैठ रहे हैं। वैसे मौका है आपको दूसरे वादे भी याद दिला ही दूं, वरना नेताओं का क्या है, उनकी याददास्त बहुत कमजोर होती है।

भाई केजरीवाल जी सरकार बनाकर ही आप आधी दर पर बिजली देने के अलावा, 700 लीटर मुफ्त पानी, सभी गैरकानूनी कॉलोनियों को रेगुलराइज, मुस्लिम युवाओं पर लगे फर्जी मुकदमे वापस, सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी और ओबीसी का रिजर्वेशन सख्ती से लागू करने और बैकलॉग वैकेंसी भरने, करप्शन करने वाले लोकसेवक को नौकरी से निकालने, जेल भेजने और संपत्ति जब्त करने, दिल्ली के तमाम सफाई कर्मचारियों और ड्राइवरों को पर्मानेंट करने, उर्दू और पंजाबी भाषा की हैसियत बढ़ाने जैसे कदम उठा पाएंगे। चुनाव के दौरान जिस तरह आपने जनता को भरोसा दिया था, उससे लग रहा था कि सारे नेता, अफसर, कर्मचारी चोर हैं, उनमें ईमानदारी से काम करने की क्षमता नहीं है, इसीलिए सारी चीजें मंहगी है। लेकिन मैं जानता हूं कि आप सिर्फ कीचड़ उछालना जानते हैं, कोई विजन या क्षमता नहीं है आपमें जिससे मुश्किल आसान हो।

आखिर में एक बात और कहना चाहूंगा कि जिस तरह से आज एक गुमराह युवा वर्ग सफेद टोपी पहन कर सार्वजनिक स्थानों पर गुंडागर्दी कर रहा है, उससे इतना तो साफ है कि इनके खिलाफ अगर शुरू में ही सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में देश में एक खतरनाक आराजक राजनीति की शुरूआत होगी। वैसे तो देश की राजनीति में पहले ही गुंडे बदमाश हावी रहे हैं। हर पार्टी इन बदमाशों, हिस्ट्रीशीटरों को गले लगाती रही है, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम रही है, जिससे समय-समय पर उन्हें जेल भी भेजा गया। लेकिन ये संगठित आराजक तत्व आसानी से कब्जे में नहीं आने वाले हैं। वैसे एक बात और , अगर केजरीवाल सरकार में आते हैं, तो जरा उनके विधायकों की शैक्षिक योग्यता तो देख लीजिए...


..............................................................................................................





44 comments:

  1. ye to aapne aaine ka chehra ghuma kar usaka syah rukh saamne kar diya ....aage aage dekhiye hota hai kya ...abhi to ye lag raha hai ki ye 28 seats kejriwal ji ke gale ki haddi ban gayee hai ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सभी को इसी बात का इंतजार है

      Delete
    2. महेन्द्रजी, तो आप ये कहना चाहते है कि यदि आज के युवा इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने कि कोशिश कर रहे है तो ये गलत है? यदि जोड़ तोड़ के दिल्ली मे सरकार बनानी है तो भाजपा या AAP बना ले, तो व्यवस्था कैसे बदलेगी? देखिये आपकी इन चुनाव चर्चा टाइप की बातो से देश नहीं बदलेगा।

      आप खुद कुछ कीजिये फिर अरविन्दजी को दोष दीजियेगा

      Delete
    3. महेन्द्रजी, तो आप ये कहना चाहते है कि यदि आज के युवा इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने कि कोशिश कर रहे है तो ये गलत है? यदि जोड़ तोड़ के दिल्ली मे सरकार बनानी है तो भाजपा या AAP बना ले, तो व्यवस्था कैसे बदलेगी? देखिये आपकी इन चुनाव चर्चा टाइप की बातो से देश नहीं बदलेगा।

      आप खुद कुछ कीजिये फिर अरविन्दजी को दोष दीजियेगा

      Delete
    4. मतलब राजनीति की बात करने के लिए मुझे राजनीति करनी पड़ेगी... याद मित्र एक समय था जब कांग्रेस और बीजेपी के लोग केजरीवाल टीम से कहती थी कि वो राजनीति में आएं और यहां कि बुराइयों को दूर करें.........तब यही केजरीवाल कहा करते थे कि ये क्या बात है, अगर बीमार डाक्टर के पास इलाज के लिए जाए तो उसे कहा जाए कि जाओ पहले डाक्टर बनकर आओ, फिर इलाज होगा...
      ये मैं नहीं कह रहा, आपके मित्र केजरीवाल और कुमार विश्वास कहा करते थे..

      रही बात भ्रष्ट व्यवस्था को दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं तो ये सबसे अच्छा मौका है...कांग्रेस बिना शर्त समर्थन दे रही है तो उसके समर्थन से सरकार में आएं और दिल्ली की पूर्व सरकार ने जितनी गडबड़ी की है, वही सबसे पहले खोलें... क्या होगा अधिक से अधिक कांग्रेसी सरकार ही तो गिराएंगे ना.. लेकिन उनका असली चेहरा सामने आ जाएगा..

      लेकिन ऐसा नहीं करेंगे, इनका मकसद व्यवस्थता को दुरुस्त करना नहीं डिस्टर्ब करना है... विदेशी फंडिग देश को डिस्टर्ब करने वालों को ही मिलती है...

      सब पैसे का खेल है मित्र....

      Delete
    5. लेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
      लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |

      मानो सीट पचास, इलेक्शन होय दुबारे |
      करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |

      अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
      सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||

      Delete
    6. बढिया.. ये राजनीतिक है ही नहीं..
      आराजकता फैलाना चाहता है..

      Delete
  2. क्या होगा इस देश का...?

    ReplyDelete
  3. हाँ ,अब उनका बडबोलापन अखर रहा है खासकर जब उन्होंने मोदी जी को चुनाव में आमने सामने करने की चुनौती दे डाली! अगर दोबारा चुनाव हुए तो आप और कांग्रेस दोनों को नुक्सान ही होगा....नाटो बटन पर ज्यादा क्लिक मिलेंगे.

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बिल्कुल आपकी बातों सहमत हूं..
      बहुत बहुत आभार

      Delete
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-12-13) को "मजबूरी गाती है" (चर्चा मंच : अंक-1460) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  5. ऐसा लग रहा है केजरीलाल सरकार बनाने से भाग रहे हैं... दिल्ली के पब्लिक से वादा कर मुकर रहे हैं .....

    ReplyDelete
    Replies
    1. वादा ऐसा कर लिया है, जो पूरा नहीं होने वाला..
      इसलिए भाग रहे हैं...........

      Delete
  6. खरी खरी रख तथ्य कुल, करें व्याख्या आप |
    दिल्ली में जब आपका, पसरा प्रबल प्रताप |
    पसरा प्रबल प्रताप. परख बड़बोले बोले |
    किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले |
    पचा सके ना जीत, जीत से मची खरभरी |
    लफुआ अनुभवहीन, चेंगडे करें मसखरी ||

    ReplyDelete
  7. नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ ।
    व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ ।

    दुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
    आपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी ।

    पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा ।
    वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥

    ReplyDelete
  8. बहुत ही फूहड़ प्रदर्शन है। मीडिया भी उसको बहुत भाव दे रहा है। बार-बार खरीद-फरोख्‍त की बात आ रही है, तो क्‍या उनकी पार्टी के लोग बिकने को तैयार हैं? दिल्‍ली जैसे शहर की जनता ने बिना समझे-बूझे एक नासमझ को वोट दे दिया, इससे तो गाँव वाले ही बेहतर होते हैं। शायद वे भी प्रलोभन में आ गए कि बिजली के बिल माफ हो जाएंगे।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सही कहा आपने...
      दिल्ली में शुरू हो चुकी है आराजक राजनीति की शुरुआत

      Delete
  9. मुझे भी बड़ा आश्चर्य हो रहा है भाई,
    अगर केजरीवाल सरकार बनाने से इनकार कर रहे है तो इतने दिनों से हंगामा मचाने का क्या तुक था ? बढ़िया आलेख है, साथ में विधायकों की शैक्षिक योग्यता आठवी,दसवी , बारहवी से आगे एक भी नहीं है, क्या आपको नहीं लगता नेता बनने के लिए एकदम सही क्वालिफिकेशन है :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. यही बड़ा सवाल है कि बिना शर्त समर्थन लेकर सरकार क्यों नहीं बनाते..
      जनता जानना चाहती है कि केजरीवाल के पास कौन सी जादू की छड़ी है..

      Delete
  10. आज देखिये कि केजरीवाल क्या कमाल करते हैं ..... इतनी जीत कि उम्मीद तो खुद उनको नहीं रही होगी ... हड्डी ऐसी फंसी है जो न उगलते बन रही है न निगलते । यदि केजरीवाल सरकार नहीं बनाते हैं तो यह दिल्ली कि जनता से विश्वासघात ही होगा ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. ये सही है कि ना उगल पा रहे है ना निगल पा रहे हैं..
      एक्सपोज हो जाएंगे..

      Delete
  11. केजरीवाल के पास एक सुनहरा मौका है अपने को पाक साफ दिखने लिए और दुबारा चुनाव का दोष कांग्रेस पर डालने केलिए | कांग्रेस का बिना सर्त समर्थन को लेकर सरकार बना लेना चाहिए! उसके बाद कांग्रेस के राज में दिल्ली में हुए घोटालों का फ़ाइल खोल दें तो कांग्रेस समर्थ वापस ले लेगी \तब चुनाव के लिए कांग्रेस को दोषी मान सकते है ! वैसे आप के विधायको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी|
    नई पोस्ट भाव -मछलियाँ
    new post हाइगा -जानवर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बिल्कुल सही कहा आपने.. उन्हें भ्रष्ट बताते रहे हैं तो सरकार में आकर उन्हें भ्रष्ट साबित भी करें...

      Delete
  12. मेरा आंकलन है की भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है इस लुका-छिपी के खेल में ... आप वाले उलझे रहेंगे दिल्ली में और देश के सामने दूसरी चुनौती नहीं रहने वाली लोकसभा इलेक्शन में ... केज्रोवाल जी समझिए और सरकार बनाइये ... लोकसभा में भी आइये ...

    ReplyDelete
  13. दो खिलाड़ी ..एक अनाड़ी....
    डाल दी पाले में बॉल..
    अब खेल केजरीवाल ......:-)))

    ReplyDelete
  14. केजरी वाल जी इस मुगालते में न रहे कि दुवारा चुनाव होंगें तो बहुमत मिल ही जाएगा ...!मेंरे ख्याल से कोंग्रेस के बिना शर्त समर्थन से आप पार्टी को सरकार बना लेनी चाहिए....

    RECENT POST -: मजबूरी गाती है.

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरा भी यही मानना है, लेकिन वो बनाएगा नहीं...

      Delete
  15. अरविन्द केज़रीवाल एक पनपता हुआ बिरवा है अभी तो अंकुर फूटें हैं। नज़र दिल्ली की संसदीय सीटों पर हैं चार न तो तीन पर उनकी नज़र रहेगी। दो सीट पक्की हैं उनकी। नोट कर लें आप भी महेंद्र जी। वैसे आपका विश्लेषण दिनानुदिन निखार पर है। अच्छा लगता है आपको पढ़के। अगर हमारे माफ़ी मांगने से आपकी नाराजी दूर होती है तो हम आप की कोर्ट में हाज़िर हैं आप हमें मुआफ करें। ब्लागिंग में मेरे भाई वैचारिक तू तू मैं मैं भी कभी कभार हो जाती है आदमी का मन बदलता है। उम्र के साथ आदमी भौतिक से आध्यात्मिक ऊर्जा की तरफ जाता है मुआफी सहायक सिद्ध होती है इस दिशा में। आदाब भाई।

    ReplyDelete
  16. शैक्षिक योग्यता चौंकाने वाली है !!

    ReplyDelete
  17. मुझे समझ नहीं आता कि जब हम लोग आम आदमी पार्टी को पसंद ही नहीं कर रहे तो वो दिल्ली में 28 सीटे कैसे ले गई ?????

    अब जब सरकार बनाने की बारी आई है तो वही राजनीतिकी चाल शुरू हो चुकी है

    ReplyDelete

जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।