सचिन सावधान ! भूल से भी प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी की तारीफ मत कर देना। वरना ये वो कांग्रेस है जो भारत रत्न देकर वापस मांगती है, आपको तो अभी मिला भी नहीं है, सरकार ने बस देने का फैसला भर किया है। ऐसे में सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। लता दी को आप मां की तरह मानते हैं, इन कांग्रेसियों ने उनसे " भारत रत्न " वापस मांगने की मांग शुरू कर दी है। मुझे लगता है कि जनवरी में भारत रत्न देने के बाद आप पर एक और जिम्मेदारी होगी, वो ये कि लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करें। चूंकि अब कांग्रेस नेताओं की सभाओं में भीड़ नहीं हो रही है, लिहाजा आपको इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही है। आपका " भारत रत्न " इसी तैयारी का हिस्सा है।
दुनिया भर के करोडों क्रिकेट प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले सचिन तेंदुलकर ने आज भारी मन से क्रिकेट को अलविदा कह दिया। ये भावुक क्षण था, उनकी आंखों में आंसू थे, उनकी मां की आंखे छलक रहीं थी, पत्नी अंजली आंसुओं को रोकने की भरपूर कोशिश कर रही थीं, लेकिन वो रोक नहीं पाईं। इसके अलावा न सिर्फ स्टेडियम में मौजूद हजारों क्रिकेटप्रेमियों की आंखें डबडबा रहीं थी, बल्कि जो लोग टीवी पर सचिन का विदाई भाषण सुन रहे थे, वो भी बार-बार रुमाल से आंखे पोछते नजर आ रहे थे। देश की जनता की आंखो में आंसू देख सरकार गंभीर हो गई और शाम होते होते पीएमओ ने सचिन को " भारत रत्न " देने का ऐलान कर क्रिकेटप्रेमियों के आंसू पोछने की कोशिश की।
सरकार को लग रहा था कि भारत रत्न के ऐलान से देश भर में सरकार की जय-जयकार होगी, लेकिन सरकार का ये दांव उलटा पड़ गया। भारत रत्न की घोषणा के आधे घंटे बाद ही सोशल साइट पर क्रिकेट प्रेमी सरकार की किरकिरी करने लगे। आप जानते ही होंगे कि जानी मानी गायिका लता दी को " भारत रत्न " मिल चुका है। पिछले दिनों एक समारोह में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि जैसी देशी की इच्छा है कि नरेन्द्र भाई मोदी प्रधानमंत्री बनें, वैसे ही मैं भी चाहती हूं कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनें। उनका इतना कहना भर था कि कांग्रेस के दिग्गज लाल पीले होने लगे और उन्होंने लता दी से भारत रत्न वापस लेने की मांग शुरू कर दी।
हालांकि लता दी सरल महिला हैं, इसलिए उन्होंने किसी बात का जवाब नहीं दिया। वरना अगर वो भारत रत्न वापस करने के लिए 10 जनपथ रवाना भर हो जातीं, तो पूरी सरकार और पार्टी घुटनों पर नजर आती। खैर अब सरकार ने सचिन को भारत रत्न देने की बात की तो सोशल साइट पर सचिन को नसीहत दी जा रही है। कहा जा रहा है कि सचिन भूल से भी नरेन्द्र मोदी का नाम मत ले लेना, वरना ये भारत रत्न वापस मांग लेंगे। ये कांग्रेसी बहुत अवसरवादी है। सच तो ये है कि इन्होंने सचिन को भारत रत्न नहीं दिया है, बल्कि देश की करोडों जनता की भावनाओं को भुनाने के लिए एक साजिश के तहत ऐसा किया है।
आपको याद होगा कि सचिन को भारत रत्न की मांग क्रिकेट प्रेमियों ने ही उठाई थी। सरकार पर दवाब बढ़ा तो इतना तो कर लिया गया कि भारत रत्न की श्रेणी में खेल को शामिल कर लिया गया। पहले खेल के क्षेत्र में भारत रत्न देने का प्रावधान नहीं था। जब बात भारत रत्न देने की आई तो सरकार ने हीला हवाली शुरू कर दी और उन्होंने पहले हाँकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का नाम भारत रत्न के लिए सामने किया। कहा गया कि मेजर का योगदान सचिन के मुकाबले कहीं ज्यादा है। ऐसे में खेल का पहला भारत रत्न मेजर को ही दिया जाना चाहिए। देश में किसी ने इस बात का विरोध भी नहीं किया। लेकिन अब चुनाव आ गया है और कांग्रेस हर किसी की कीमत लगाना जानती है। इसलिए मैं तो यही कहूंगा कि ये क्रिकेट का नहीं चुनाव का "भारत रत्न" है।
सटीक और धारदार प्रस्तुति
ReplyDeleteजिसने नज़र उठाई ,वही शख्स गुम हुआ
ये सरकार खेलती है खेलों के खेल कितने
बहुत बहुत आभार
Deleteघोषणा तो कर दी पर सरकार को यह डर भी कि अब से हर कोई रिटायरमेंट के समय पेंशन, पीएफ़, ग्राचुटी के साथ साथ भारत रत्न की भी मांग करेगा |
ReplyDeleteखैर मज़ाक अलग रहा ...
कोई इन लोगो से पूछो ... तुम 'आधिकारिक तौर पर' न देते तो क्या सचिन को हम "भारत रत्न" न मानते !!?? यह तो साफ साफ दिख रहा है कि आज की इस घोषणा के पीछे केवल और केवल राजनीति है ... और कुछ नहीं !
हाहाहाह,
Deleteसही है, तभी तो कह रहा हूं कि ये राजनीति का भारत रत्न है
अच्छी बात हैं लेकिन दुख होता एक नासमझ
ReplyDeleteनेता की सिफारिश से मिला जोकि ना तो मंत्री हैं।
जब संसद मे बहस हुईं तब भी तो घोषणा कर
सकते थे हद होती हैं घटिया राजनीति की
सही बात है
Deleteशुक्रिया
अच्छी बात हैं लेकिन दुख होता एक नासमझ
ReplyDeleteनेता की सिफारिश से मिला जोकि ना तो मंत्री हैं।
जब संसद मे बहस हुईं तब भी तो घोषणा कर
सकते थे हद होती हैं घटिया राजनीति की
बिल्कुल सही कहा.......
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (17-11-2013) को "लख बधाईयाँ" (चर्चा मंचःअंक-1432) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
गुरू नानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा (गंगास्नान) की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार...
Deleteमाननीय महोदय,
ReplyDeleteसादर नमन
आज शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ..आपकी कई सारी पोस्ट पढ़ीं, बहुत अच्छी लगीं...ज्ञानवर्धक भी..सामयिक विषयों को आप बड़ी गंभीरता से तथ्यो के साथ उठाते हैं...हार्दिक बधाई और आभार!
सादर/सप्रेम
डॉ. सारिका मुकेश
Dr. Sarika Mukesh
https://www.facebook.com/antarmankilaharen
http://sarikamukesh.blogspot.com
http://hindihaiku.blogspot.in
जी बहुत बहुत आभार
Deletebilkul khari-khari kahi aapne........bahut dino baad aapke blog par aayi hu vystata thi ..............bahut hi badhiya prasang uthaya aapne.
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार
Deleteलगता है सोदेबाजी तब से ही चल रही थी ... अब सौदा पक्का न हो गया हो ... पर जो भी है सचिन से ज्यादा बड़ा हकदार कोई नहीं हो सकता इस सामान का ...
ReplyDeleteसही, सम्मान नहीं ये सौदा है..
Deleteआभार
lata ji bhart ratn vapas lene ki maang ke baad sachin ke aakhri match ke turant bad bharat ratn dene ki ghoshna ne is puruskaar ki maryada kam kar di ..ghatiya rajneeti par sateek aalekh
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteसचिन सावधान .....महेंद्र जी का आंकलन बिलकुल ठीक है |
ReplyDeleteसर, बहुत बहुत आभार
Deletekya khoob nabz pakdi hai aapne ..............khari khari kahi hai jo sahi hai
ReplyDeletevaise ye aadha sach nahi mahendra ji poora sach kah diya :)
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteश्लेषार्थ ही हासिल है कांग्रेसी रानजीतिक धंधे बाज़ों का। सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteबहुत अच्छी लगी ये पोस्ट ये सरकार वोटों की खातिर किसी भी हद तक गिर सकती है किसी की भावनाएं इनके लिए कोई मायने नहीं रखती या तो मरने के बाद पुरस्कार देते हैं जीतेजी देते हैं तो वापस लेने की बात करते हैं बड़े शर्म की बात है
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteसिक्के का दूसरा पहलु तो बहुत गड़बड़ है …
ReplyDeleteजी, बुहत बहुत आभार
Deleteसच! एक-एक पैंतरा देखने लायक है..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteसचिन सावधान ! भूल से भी प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी की तारीफ मत कर देना। वरना ये वो कांग्रेस है जो भारत रत्न देकर वापस मांगती है, आपको तो अभी मिला भी नहीं है, सरकार ने बस देने का फैसला भर किया है। ऐसे में सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। लता दी को आप मां की तरह मानते हैं, इन कांग्रेसियों ने उनसे " भारत रत्न " वापस मांगने की मांग शुरू कर दी है। मुझे लगता है कि जनवरी में भारत रत्न देने के बाद आप पर एक और जिम्मेदारी होगी, वो ये कि लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करें। चूंकि अब कांग्रेस नेताओं की सभाओं में भीड़ नहीं हो रही है, लिहाजा आपको इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही है। आपका " भारत रत्न " इसी तैयारी का हिस्सा है। ..............
ReplyDeleteसच कहा है आपने ...इस बार की काँग्रेस की दिल्ली रैली में राहुल गांधी के भाषण से ठीक पहले वहाँ की जनता का यूँ उठ कर चल देना ...अच्छे संकेत नहीं है .....सचिन को सम्मानित करने की ये चाल भी हो सकती है ....अपने लिए प्रचार के लिए ...आपकी इस बात से सहमत हूँ .....इस गन्दी राजनीति में कुछ भी हो सकता है
बहुत बहुत आभार अंजू जी
Deleteजब जिसकी सरकार हो ऐसा ही करती है. विचार की लड़ाई तो है नहीं, तोहमतों की लड़ाई है. ये रहे वो आए, कुछ नहीं बदलने वाला. सब एक जैसे.
ReplyDelete