tag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post3840779266568803066..comments2024-03-10T14:15:31.124+05:30Comments on आधा सच...: चारो खाने चित "टीम केजरीवाल"महेन्द्र श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/18051207879771385090noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-70959806419272719142012-10-23T12:02:07.185+05:302012-10-23T12:02:07.185+05:30आपका बहुत बहुत आभार
आपका बहुत बहुत आभार<br /><br />महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-53597531275524855542012-10-23T12:00:39.526+05:302012-10-23T12:00:39.526+05:30आपकी बात सही है..
मैने इतना कुछ लिखा है, पहली बार...आपकी बात सही है..<br /><br />मैने इतना कुछ लिखा है, पहली बार इन्होंने ऐसा नहीं किया है। इनकी आदत में शुमार है गैरमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना।<br /><br />तब जबाव देने को मैं मजबूर हो गया..महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-70861291529939949502012-10-23T09:50:49.235+05:302012-10-23T09:50:49.235+05:30आद वीरेंद्र जी ,
आप बड़े हैं ..इसमें माफ़ी की बात कह...आद वीरेंद्र जी ,<br />आप बड़े हैं ..इसमें माफ़ी की बात कहाँ से आ गई ....?<br />सही था तो कह दिया सही है ....गलती हर किसी से हो सकती है ...मुझ से भी होती है ...<br />डॉ कौशलेन्द्र जी ने कई बार मेरी भी गल्तियाँ निकाली हैं , मैं उनका बुरा नहीं मानती<br />कृपया अभद्र शब्द कहने से बचें ये हमारे ही चरित्र का परिचायक होते हैं .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-2538213094582670972012-10-22T23:12:13.465+05:302012-10-22T23:12:13.465+05:30बहरहाल नेताओं पर आरोप लगता है तो हमें उतनी हैरानी ...बहरहाल नेताओं पर आरोप लगता है तो हमें उतनी हैरानी नहीं होती, क्योंकि आज लोग नेताओं के बारे में बात तक करना पसंद नहीं करते। हालत ये है कि भले ही नेताओं पर आरोप ही लगे कि उन्होंने करप्सन किया है, फिर भी हम बिना जांच के ही मान लेते हैं कि हां नेता है तो जरूर किया होगा। लेकिन करप्सन के खिलाफ बड़ी बड़ी बातें करने वाले जब ऐसे मामले में शामिल होते हैं तो देश का भरोसा टूटता है। मैं देख रहा हूं कि इंडिया अगेंस्ट करप्सन से जितने लोग भी जुड़े हैं, सभी के अपने एनजीओ की अलग अलग दुकान है। <br />आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत और भी बहुत सी जानकारियां मिली आपके द्वारा लिखे लेख पढ़ना अच्छा लगता है बहुत कुछ जानने को मिलता है बहुत २ शुक्रिया | Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-77744363950720650422012-10-22T22:17:07.208+05:302012-10-22T22:17:07.208+05:30माफी ईमानदार आदमी मांगता है। माफी कमजोर और कुतर्की...माफी ईमानदार आदमी मांगता है। माफी कमजोर और कुतर्की नहीं मांग सकते। रही बात सक्षमता की तो आपकी तीन लाइनों में 75 गिनती गिना दी मैने। <br /><br />बहरहाल माफी अपने किए पर मांगनी चाहिए आपको.. आपने अपने छोटों को शराबी बताया। माफी इसलिए मांगनी चाहिए कि आपने सही को गलत ठहरा कर अपनी दूषित मानसिकता का परिचय दिया। <br /><br />आप इतने भोले बन कर बता रहे हैं कि ऐसे ही शुद्ध अशुद्ध की बातें करता हूं, जब आपने हिंदी पढ़ी नहीं है तो क्यों जहां तहां टांग अड़ा रहे हैं। <br /><br />रही बात मुझे सरकार का साथी बता रहे हैं, उससे साफ है कि आपका पढ़ाई लिखाई से कोई वास्ता है ही नहीं। वरना इसी ब्लाग में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, राबर्ट वाड्रा, सलमान खुर्शीद, दिग्विजय के बारे में जितनी सख्त भाषा में लेख है, मुझे लगता है कि सरकार के विरोधी भी इतनी सख्त भाषा में लेख नहीं लिखते होंगे।<br /><br />खैर आप व्यक्ति पूजा में लगे रहिए। किसी को कोई दिक्कत नहीं है। <br /><br />मेरा मकसद सिर्फ आपको आइना दिखाना था, वो दिखा दिया कि आप क्या हैं, कितना जानते हैं, आपका असली चेहरा क्या है। लेख कविता मत पढिए, वर्तनी की कमियां तलाशते रहिए। <br /><br />वैसे अच्छा होगा कि अपने से छोटों से बातचीत कैसे की जाती है, वो ठीक रखिए। दरअसल आपकी गल्ती नहीं है, जब आदमी देश छोड़कर बाहर जाता है तो सबसे पहले वो यहां की संस्कृति ही भूलता है, जो आप भूल चुके हो।<br /><br />माफी मांग लीजिए अपने किए पर अच्छी नींद आएगी।<br /> <br /><br /><br />महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-86870909886190645832012-10-22T21:05:52.517+05:302012-10-22T21:05:52.517+05:30हरकीरत ' हीर'21 October 2012 21:27
चारो खा...हरकीरत ' हीर'21 October 2012 21:27<br />चारो खाने चित' ही सही शब्द है ....<br />इसमें वर्तनी की कोई गलती नहीं ....<br />चित्त .- मन<br />चित- पीठ के बल या बेहोश<br /><br />Reply<br /><br />मुद्दा वर्तनी नहीं है महेंद्र जी ,हरकीरत जी ,<br /><br />वह तो प्रसंग वश कोई बात निकल आती है तो मैं कह देता हूँ लिखके इशारा कर देता हूँ .शुद्ध अशुद्ध रूप तो वर्तनी के माहिर ही बतला सकतें हैं या फिर <br /><br />आप जिसने थोड़ी बहुत हिंदी पढ़ी भी होगी .मैं तो विज्ञान का विद्यार्थी हूँ . <br /><br />कोई अच्छा शब्द कोष देखिए रही बात माफ़ी की तो पहले वह सक्षमता हासिल कीजिए ,फिर आप से माफ़ी मांग लूंगा .फिलहार चारो चारो करोगे <br /><br />.........हुआं हुआं करोगे तो चारों तरफ से घिर जाओगे .माफ़ी तो मैं सरकार से भी नहीं मांगता आपको कुछ दे ही रहा हूँ .ले कुछ नहीं रहा आपसे .<br /><br />रही बात चित और पट्ट की पट्ट के वजन से चित्त लिखा जाता है .चित सचेत है चित्त नहीं .<br /><br />प्रभुजी मोरे औगुन चित न धरो .......<br /><br /><br />पहली मर्तबा हुआ है इस देश में सरकार ही पूरी भ्रष्ट हो गई है .जिस मंत्री से आपका हाथ छू जाए वह भ्रष्ट निकलता है .ऐसी सरकार की मैं आलोचना <br /><br />करता हूँ तो आपको बुरा लगता है .क्या जिस पार्टी की सरकार है आप उसके सदस्य हैं ?हैं तो पार्टी छोड़ दो आप तो पत्रकार हैं ऐसा आसानी से कर सकतें <br /><br />हैं .<br /><br />इस गुलाम वंशी मानसिकता के साथ क्यों रह रहें हैं भारत धर्मी समाज में ?भारत का हित सोचो ."भ्रष्ट कांग्रेस का नहीं " असल मुद्दा वर्तनी नहीं है .भ्रष्ट <br /><br />सरकार है .<br /><br />और हाँ कविता और भाषा में दोनों रूप प्रचलित हैं कबीर भी कबिर भी .<br /><br />फिर दोहरा दूं कबीरा खड़ा ब्लॉग मेरा नहीं है मैं एक कन्ट्रीब्युटर हूँ प्रशासम नहीं हूँ इस ब्लॉग का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-30848269436338252952012-10-22T10:15:06.632+05:302012-10-22T10:15:06.632+05:30महेंद्र जी वर्तनी की अशुद्धियाँ ही होना चाहिए था ....महेंद्र जी वर्तनी की अशुद्धियाँ ही होना चाहिए था .<br /><br /><br />आपको अगर शर्मा जी का कमेंट समझ आ रहा हो तो जरा मुझे भी आसान शब्दों में बता दें। <br /><br />मैं यही बात कहता हूं कि शर्मा जी दूसरों को आइना दिखाने की कोशिश करते हैं, खुद क्या लिखते हैं, शायद पढ़ते नहीं है।महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-33939223043029398672012-10-22T06:57:05.753+05:302012-10-22T06:57:05.753+05:30आधा सच भाई साहब पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है ...<br /> आधा सच भाई साहब पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है ."वर्तनी के अशुद्धियाँ "खटक रहीं हैं टी वी स्टेशनों पर अक्सर .ऐसा क्यों ?क्या चैनालिये पिए रहतें हैं .<br /><br />महेंद्र जी वर्तनी की अशुद्धियाँ ही होना चाहिए था .मंशा हमारी और हम सबकी यही रहनी चाहिए हम शुद्ध लिखें जहां तक संभव हो ,कोई गलती निकाले स्वागत करें .सीखें उससे .आखिर चिठ्ठा एक ऐसा अख़बार है <br /><br />जिसके सब कुछ हम ही हैं सम्पादक भी ,हाकर भी .दिल पे न लो दोस्त जो कुछ आपने खा सर आँखों पर अनुज हैं आप .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-19226569214431513152012-10-21T23:57:49.840+05:302012-10-21T23:57:49.840+05:30आधा सच भाई साहब पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है ...आधा सच भाई साहब पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है .वर्तनी के अशुद्धियाँ खटक रहीं हैं टी वी स्टेशनों पर अक्सर .ऐसा क्यों ?क्या चैनालिये पिए रहतें हैं .?<br /><br />कमेंट में ये तीन लाइने शर्मा जी की हैं। जरा गौर से देखिए कि तीन लाइनों में कितनी गल्ती है। पहला वाक्य विन्यास गलत है। इसे इस तरह लिखा जाना चाहिए.." भाई साहब आधा सच पूरे झूठ से ज्यादा ख़तरनाक है " <br /><br />फिर आपने लिखा वर्तनी के अशुद्धियां, ये भी पूरी तरह गलत है। " वर्तनी की " लिखा जाना चाहिए था। <br /><br />आगे आपने लिखा.... टी वी स्टेशनों पर अक्सर .ऐसा क्यों ? यहां अक्सर के बाद ये . लगाने की क्या जरूरत है। इसे नहीं लगाना चाहिए।<br /><br />आगे आप ने " चैनालिए " ये भी गलत है, चैनलिए लिखना चाहिए था।<br /><br />और " पिये " नहीं होता है शर्मा जी पीये होता है।<br /><br />तीन लाइन कमेंट शुद्ध लिख नहीं पाते और बड़ी बड़ी बातें करने कह दीजिए। मैं काम में व्यस्त रहता हू, इसलिए आपकी बातों को नजरअंदाज करता रहता हूं, पर मैने देखा कि वो आदमी ज्ञान दे रहा है जो तीन लाइन नहीं लिख पाता। इसलिए जरूरी हो गया आपको सही राह दिखाना। आप बडे़ हैं, सम्मान की भाषा लिखिए मैं उससे ज्यादा सम्मान दूंगा। <br /><br /><br />मेरी बातें अगर आपको बुरी लगी हैं तो मुझे खेद भी है, लेकिन आपने मजबूर कर दिया कि आपको जवाब दिया जाना चाहिए।महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-364262145429906512012-10-21T23:41:33.808+05:302012-10-21T23:41:33.808+05:30जी आपका बहुत बहुत आभार..
जी वीरेंद्र कुमार शर्मा ...जी आपका बहुत बहुत आभार..<br /><br />जी वीरेंद्र कुमार शर्मा की आदत है, इस तरह की बातें करना। दरअसल वो यहां एक खास विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैसे विचारधारा भी उनके लिए सही शब्द नहीं है, क्योंकिं उनकी कोई विचारधारा नहीं है। वो व्यक्ति पूजक हैं। <br /><br />मैने देखा है कि जब मैं कांग्रेस के खिलाफ लिखता हूं तो मेरी प्रशंसा करते हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल के बारे में तर्कपूर्ण बातें लिखता हूं तो पाठकों को भी गुमराह करने के लिए विषय को दूसरी ओर मोड़ने की कोशिश करते हैं। <br />सब जानते हैं कि हिंदी भाषा में कई शब्दों को कई तरह से लिखा जाता है। " चारो खाने चित " ऐसे ही लिखा जाना सही है। उन्होंने लेख के शीर्षक पर ही सवाल एक साजिश के तहत खड़ा किया। <br /><br />फिर सबसे निम्न स्तर का काम ये रहा कि चैनल के लोगों को शराबी बता दिया। मतलब चैनल में सब काम शराब पीकर होता है। <br /><br />इनसे कोई ये पूछे की आप किस नशे में थे कि सही को गलत बता रहे थे। कहीं भी देख लीजिए, लोगों के लेख में छोटी मोटी गल्ती निकाल कर उसे सार्वजनिक मंच पर शर्मिंदा करते हैं। <br /><br />खैर उनका कर्म उनके साथ.....<br /><br />आप यहां आईं,आपका बहुत बहुत आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-10301408473036145952012-10-21T21:27:51.978+05:302012-10-21T21:27:51.978+05:30चारो खाने चित' ही सही शब्द है ....
इसमें वर्त...चारो खाने चित' ही सही शब्द है ....<br />इसमें वर्तनी की कोई गलती नहीं ....<br />चित्त .- मन<br />चित- पीठ के बल या बेहोश<br />हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-45297173105337340162012-10-21T19:28:18.807+05:302012-10-21T19:28:18.807+05:30शुक्रिया
बहुत बहुत आभारशुक्रिया<br />बहुत बहुत आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-14585688086317757892012-10-21T19:25:03.014+05:302012-10-21T19:25:03.014+05:30वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 22-10...वाह!<br />आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 22-10-2012 को <a href="http://charchamanch.blogspot.in" rel="nofollow"><b> सोमवारीय चर्चामंच-1033</b></a> पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ<br />चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-13293201744717652642012-10-21T16:45:46.323+05:302012-10-21T16:45:46.323+05:30प्लीज आप दोनों लोग जो भी हैं, आपने मेरा समर्थन किय...प्लीज आप दोनों लोग जो भी हैं, आपने मेरा समर्थन किया,इसके लिए मैं आभार। पर यहां आप अपनी पहचान के साथ आएं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी। हम खुले मंच पर एक बात की चर्चा कर रहे हैं, कोई लड़ाई झगड़ा नहीं कर रहे हैं, इसलिए पहचान छिपाने को मैं ठीक नहीं समझता।<br /><br />हां मैं इस बात से सहमत हूं कि शर्मा जी जगह - जगह कुछ भी लिख सकते हैं। उन्हें दरअसल ये नहीं पता है कि बहुत सारे लोग गुगल में अंग्रेजी के जरिए हिंदी लिखते हैं। इसलिए छोटी मोटी हिंदी की गलती हो सकती है। लेकिन उनका खुद को ज्ञानी समझना और सार्वजनिक मंच पर ब्लागर को असम्मानित करने वाला व्यवहार रहता है। <br /><br />यहीं पर वो सही शब्द को गलत बता रहे हैं और कह रहे हैं कि लोग शराब पिए रहते हैं। महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-65301322495251148742012-10-21T16:40:31.597+05:302012-10-21T16:40:31.597+05:30virendra ji ko mai kafi dino se soch rahi ...virendra ji ko mai kafi dino se soch rahi yhi ki javab du, par vo kuch bhi likh sakate hai liye chup thi. par aapne unahe theek se samjha diya..thanks ...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-34028814339389278012012-10-21T16:37:24.299+05:302012-10-21T16:37:24.299+05:30जी आपकी बात काफी हद तक सही है।जी आपकी बात काफी हद तक सही है।महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-77371662909453965222012-10-21T13:00:58.377+05:302012-10-21T13:00:58.377+05:30अब तो नेता नाम के किसी भी इंसान पर भरोसा करने का म...अब तो नेता नाम के किसी भी इंसान पर भरोसा करने का मन नहीं होता, सब एक जैसे दिखते हैं... संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-47904373364078505492012-10-21T11:22:00.006+05:302012-10-21T11:22:00.006+05:30शुक्रिया
जिस विषय पर आप इशारा कर रहे हैं, देखते ह...शुक्रिया<br /><br />जिस विषय पर आप इशारा कर रहे हैं, देखते हैं कभी विस्तार से उस पर भी बात करेंगे..महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-51128237906603927512012-10-21T11:20:48.823+05:302012-10-21T11:20:48.823+05:30आज हर आदमी मीडिया को नसीहत देने उतर आया है, मीडिया...आज हर आदमी मीडिया को नसीहत देने उतर आया है, मीडिया मे आत्ममंथन की क्षमता है, हम करते हैं।<br /><br />जब आदमी के पास कोई तर्क नहीं होता है तो वो यहां लेख की समीक्षा करने के बजाए लेखक की और उसके प्रोफेशन की समीक्षा करने लगता है।<br /><br />अच्छा होता राजपूत जी की आप लेख पर अपने विचार रखते। भीड़ में भेड चलते हैं। निष्पक्षता की बात मुझसे कर रहे हैं, इसी ब्लाग हर आदमी के बारे में लेख है और यहां तक की मीडिया को भी नहीं छोड़ा है मैने। <br /><br />कुछ लिखने के पहले सोचा कीजिए.. महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-56521345619232198332012-10-21T10:53:52.420+05:302012-10-21T10:53:52.420+05:30आज के इस बदलते परिवेश मे मीडिया का रोल काफी अहम भ...आज के इस बदलते परिवेश मे मीडिया का रोल काफी अहम भूमिका अदा करेगा। <br />अगर मीडिया ही पक्षपात की राह पे चल पड़ा तो फिर कोई राह नहीं ।Rajputhttps://www.blogger.com/profile/08136572133212539916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-39387961949019885322012-10-21T01:06:32.191+05:302012-10-21T01:06:32.191+05:30श्रीवास्तवजी काफी खोजी है आपका ब्लाग वो भी क्यो न ...श्रीवास्तवजी काफी खोजी है आपका ब्लाग वो भी क्यो न हो आप मीडिया से जो जुडे है,काफी तथ्यपरक है आलेख,बस थोडी सी उत्त्कंठा है इस सम्बन्ध में यदि हो सके तो कुछ प्रकाश डाले--"खुलासा सप्ताह की शुरुआत सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा से हुई। चूंकि मैं काफी दिनों तक मुरादाबाद में अमर उजाला अखबार से जुड़ा रहा हूं। इसलिए जब वाड्रा पर आरोप लगा तो मुझे कत्तई हैरानी नहीं हुई। मैं इस परिवार को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं।" साभारराजेश "मस्ताना"https://www.blogger.com/profile/00090394732954473991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-62080024029816331082012-10-20T13:20:00.486+05:302012-10-20T13:20:00.486+05:30जी बिल्कुल सही
लेकिन आदत से मजबूरजी बिल्कुल सही<br />लेकिन आदत से मजबूरमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-92177910512404545882012-10-20T13:16:02.520+05:302012-10-20T13:16:02.520+05:30शीशे के मकान में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नही...शीशे के मकान में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए , चूर चूर होने में वक़्त नहीं लगता रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-7847520008922652762012-10-20T12:27:16.558+05:302012-10-20T12:27:16.558+05:30सर, आपका बहुत बहुत आभारसर, आपका बहुत बहुत आभारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2239931836978162266.post-43443493661733773072012-10-20T12:24:14.884+05:302012-10-20T12:24:14.884+05:30सच बयाँ करने की कोशिश ....अपनी जानकारी के अनुसार....सच बयाँ करने की कोशिश ....अपनी जानकारी के अनुसार...बिना किसी का पक्ष लिए.. मीडिया वालों से येही उम्मीद रहती है ..हम जैसे आम आदमी को ???<br />शुभकामनाएँ!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.com